खलासी ने कहा- ट्रक का टायर बदल रहे थे, तभी बस ने टक्कर मारी, आंखों के सामने बहनोई को मरते देखा
इटावा। फिरोजाबाद जिले में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर बुधवार रात ट्रक किनारे खड़े ट्रक से बस टकरा गई। हादसे में 14 लोग मारे गए, जबकि 29 लोग घायल हैं। घायल अब भी हादसे को याद कर सिहर जाते हैं। ट्रक के खलासी वसीम खान भी इनमें से एक हैं। उन्होंने बताया- पहिया पंक्चर होने पर वह, उनके चालक बहनोई और एक ट्रक का अन्य ड्राइवर ट्रक का पहिया बदल रहे थे। ट्रक सड़क किनारे खड़ा था, तभी अचानक पीछे से आ रही बस ने टक्कर मार दी।
वसीम ने बताया- बस की टक्कर लगते ही ट्रक जैक से उतर गया और बहनोई पहिए के नीचे दब गए। मैं दूर को हटा, लेकिन घायल हो गया। अन्य ट्रक का ड्राइवर भी जख्मी हो गया। मेरी आंखों के सामने ही बहनोई की मौत हो गई, मैं कुछ नहीं कर पाया। बस में सवार कुछ यात्री झटका लगने से उछलकर ट्रक पर आ गिरे थे। गाड़ी स्टार्ट कर पीछे किया, तब बहनोई के शव को निकाला जा सका।
'आंख खुली तो चीख-पुकार से दिल दहल गया'
धर्मेंद्र ठाकुर।
बस में सवार बिहार के मोतिहारी के धर्मेंद्र ठाकुर ने कहा- जब हादसा हुआ तो वे सो रहे थे। जोरदार झटके से आंख खुली तो वे ट्रक में पड़े थे। आंखों के सामने अंधेरा छा गया था। हर तरफ चीख पुकार मची थी, जिसे सुनकर दिल दहल गया। हर कोई अपने को ढूंढ रहा था। कई लोग बस के नीचे दबे थे।
'चीखें सुनकर नींद खुली'
पास्ता देवी।
बिहार की रहने वाली पास्ता देवी दिल्ली में मजदूरी करती हैं। बुधवार रात वह बस से बिहार जा रही थीं। उन्होंने बताया- जब हादसा हुआ, तब वह सो रहीं थी। आंख खुली तो आंखों के सामने अंधेरा था। चीख पुकार के बीच बाहर निकलकर देखा तो बस में कई लोग दबे हुए थे।
'नजारा देखकर घबरा गया'
मेघनाद।
बिहार के रहने वाले मेघनाद ने बताया- वह अपने केबिन में सो रहे थे। आवाज सुनकर बाहर आए तो दृश्य देखकर घबरा गए। उनके साथ दो लोग और भी थे, वह भी सुरक्षित हैं। अंधेरा होने के कारण कुछ भी साफ नजर नहीं आ रहा था। घबराकर उन्होंने अपने साथियों को खोजा तो वह भी सुरक्षित बाहर आ गए। सभी ईश्वर का शुक्रिया जता रहे हैं।
जीवित है या नहीं कुछ नहीं पता चल रहा है।
'बगल की सीट पर साथी सोया था, उसका कुछ पता नहीं'
कृष्णा ने कहा- दिल्ली से मोतिहारी के लिए निकला था। जब हादसा हुआ तो मैं सो रहा था। अचानक झटका लगा, उसके बाद मैं बेहोश हो गया। होश आया तो पता चला कि मैं बस की छत के ऊपर था। बगल सीट पर एक साथी बैठा था, उसका कुछ पता नहीं है,