27 साल से टेंट में विराजमान रामलला मंदिर बनने तक कांच व लकड़ी के अस्थाई मंदिर में रहेंगे
लखनऊ। अयोध्या के राम मंदिर ट्रस्ट के ऐलान के बाद आंदोलन से जुड़े ज्यादातर संतों महंतों का मानना है कि 2 अप्रैल चैत्र रामनवमी से मंदिर बनना शुरू हो। तब ग्रह नक्षत्र भी अनुकूल होगें। इस बीच, गृह मंत्रालय से जुड़े अयोध्या के अफसरों ने भव्य मंदिर बनने तक 27 साल से टेंट में विराजमान रामलला सहित चारों भाई कहां विराजें, उन विकल्पों पर तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों ने बताया कि रामलला एक अस्थाई मंदिर में विराज सकते हैं। यह अस्थाई मंदिर खास जर्मन पाइन लकड़ी और कांच की मदद से दिल्ली में तैयार हो रहा है, जिसे अयोध्या लाकर स्थापित किया जा सकेगा। मंदिर सभी मौसम के अनुकूल रहेगा।
बहस तेज : मंदिर किस मॉडल से बनाया जाए...
अयोध्या में बहस तेज है कि मंदिर विहिप के मॉडल और तराशे गए पत्थरों से बनेगा या नए मॉडल से। इस पर फैसला ‘बोर्ड आॅफ ट्रस्टी’ को लेना है, जिसकी पहली बैठक अगले हफ्ते हो सकती है।
विहिप उपाध्यक्ष चंपत राय बंसल का मानना है कि ‘विहिप के बजाए अगर नए मॉडल से मंदिर बनेगा तो उसमें 25 साल लग जाएंगे। दूसरी तरफ विहिप के मॉडल और तराशे गए पत्थरों को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह सबसे भव्य मॉडल नहीं है। पुराने मॉडल के साथ मंदिर के वास्तु और आकार पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है। भव्य और दिव्य मंदिर को बलुआ पत्थरों से बनाना सही नहीं है। आर्किटेक्ट सुधीर श्रीवास्तव ने कहा कि मंदिर बनाने में दो साल से ज्यादा समय नहीं लगेगा। लखनऊ के डाॅ अंबेडकर और कांशीराम स्मारकों को भी भव्यता के साथ इससे कम समय में तैयार किया जा चुका है।